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भारत-पाकिस्तान युद्ध में परमाणु विकिरण से खुद को कैसे बचाएं?

भारत-पाकिस्तान युद्ध में परमाणु विकिरण से खुद को कैसे बचाएं : यह बहुत ही अलग आर्टिकल है लेकिन अभी के हालात को देखते हुए अपने सभी मित्रों के लिए ऐसे टॉपिक पे लेख लिखना जरूरीभी है, भारत-पाकिस्तान के टीवी चैनल को देखते हुए अपने मित्रों की हिफाज़त के लिए यह टॉपिक तैयार किया जा रहा है की अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होता है तो युद्ध में परमाणु विकिरण से खुद को कैसे बचाएं ! आप सोच रहे होंगे की मै परमाणु विकिरण की बात क्यों कर रहा हूँ? इसलिए कि यह दोनों देश युद्ध करेंगे नहीं अगर युद्ध किये तो परमाणु युद्ध ही होगा ! पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और आम जनता का आक्रोश देख कर ऐसा लगता है अक्टूबर के आखिर तक युद्ध होने की पूरी उम्मीद की जा सकती है!
आप ऐसा बिलकुल भी सोचने का कष्ट ना करें कि मैं भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध होने का अफवाह फैला रहा हूँ, मैं केवल यह बताने वाला हूँ की अगर दोनों देश के बीच युद्ध होता है तो हम परमाणु विकिरण से अपनी हिफाज़त कैसे करें, अगर आप इतिहास के पन्नो को पलट कर देख्नेगे तो द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ था बहुत आसानी से जान पाएंगे, अभी भारत-पाकिस्तान में ठीक वैसे ही हालात है जैसे  द्वितीय विश्व युद्ध के समय था!


How to protect yourself from nuclear radiation in India-Pakistan war
How to protect yourself  from nuclear radiations 


भारत-पाकिस्तान का युद्ध क्या तीसरा विश्व युद्ध का संकेत है

अगर भारत-पाकिस्तान में युद्ध हुआ तो क्या ये तीसरा विश्व युद्ध का संकेत होगा? ऐसा इसलिए सोचना पड़ रहा है क्यूंकि द्वितीय विश्व युद्ध के कारण अभी के हालात से बहुत मिलते जुलते हैं! द्वितीय विश्व युद्ध का पहला कारण था " The Peace of Paris" पेरिस की शांति वार्ता, हो सकता है कि तीसरा विश्व युद्ध का पहला कारण बने "The Peace of Kashmir" कश्मीर की शांति वार्ता!

द्वितीय विश्व युद्ध का दूसरा कारण था आर्थिक मुद्दा (Economic Issues) अभी भारत-पाकिस्तान का आर्थिक स्तिथि क्या है यह किसी से ढका छुपा नहीं है,दोनों देश बहुत ही बुरे आर्थिक स्तिथि के दौर से गुज़र रहे हैं!

द्वितीय विश्व युद्ध का तीसरा कारण था नेशनलिज़्म (Nationalism) यूरोप में देशभक्ति का जवार उमड़ पड़ा था, ठीक इसी तरह जैसे आज कल भारत-पाकिस्तान में देशभक्ति का तूफ़ान उमड़ पड़ा है, इतिहास को देखते हुए ऐसा लगता है की ये देशभक्ति भी रंग लाएगी!

द्वितीय विश्व युद्ध का चौथा कारण था डिक्टेटरशिप ( Dictatorships ), आज कल के हालात को देख कर आप समझ सकते हैं की देश में डिक्टेटरशिप किस हद तक बढ़ गया है, ऐसा लगता है की कुछ खास लोग ही देश को चला रहे हैं!

इतिहास के पन्नो पर नज़र डालने से ठीक ऐसा ही लग रहा है की भारत-पाकिस्तान का युद्ध कहीं तीसरा विश्व युद्ध का संकेत तो नहीं है? वैसे एक बात और यहाँ उल्लेख करने योग्य है की द्वितीय विश्व युद्ध होने में  न्यूज़ मीडिया का भी बहुत बड़ा योगदान था जैसे आज कल की न्यूज़ मीडिया हो गयी है! आगे क्या होगा यह अभी से अनुमान लगाना ठीक नहीं है इसलिए अभी हम इस बात पे ध्यान केन्द्रित करते हैं की अगर भारत-पाकिस्तान में युद्ध हुआ तो युद्ध में परमाणु विकिरण से खुद को कैसे बचाएं?

भारत-पाकिस्तान युद्ध में परमाणु विकिरण से खुद को कैसे बचाएं

अधिकांश प्राकृतिक आपदाओं में, पहला नियम सूचित रहना और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करना होता है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है की एक परमाणु खतरे की स्थिति में, सरकारी अधिकारी सटीक जानकारी और उपयुक्त उपायों के लिए सबसे अच्छा स्रोत नहीं हो सकते हैं फिर ऐसी स्तिथि में जनता को क्या करना होगा यह बहुत खास मुद्दा है!

ऐसे हालात में आप को खुद ही कुछ करना होता है, ऐसे हालात में आप को खुद ही अपनी सुरक्षा के लिए काफी हद तक अपने आप पर ही निर्भर रहना पड़ता है, तैयारी और जागरूकता महत्वपूर्ण है और ऐसे उपाय हैं जिनसे आप परमाणु विकिरण के जोखिम को कम कर सकते हैं और (उम्मीद है) परमाणु विकिरण के कारण होने वाले कैंसर से बच जाएँ!

परमाणु विकिरण के संपर्क में आने पर आपको पोटेशियम आयोडाइड की एक गोली लेना होगा ! परमाणु विकिरण की आशंका होती है तो आपका राज्य पहले से ही पोटेशियम आयोडाइड की गोली प्रदान करता है लेकिन हर राज्य ऐसा नहीं करता है! इसलिए जब ऐसी आशंका हो तो आप अपना खुद का भी खरीद सकते हैं.

एक घटना के बाद पहले कुछ घंटों में पोटेशियम आयोडाइड की गोली लेने से आपकी थायरॉयड ग्रंथि बहुत अधिक रेडियोधर्मी पोटेशियम को अवशोषित करने से बचा सकती है, लेकिन यह आपके आंतरिक अंगों के बाकी हिस्सों की रक्षा करने में बहुत मदद नहीं करेगी।

रेडियोधर्मी संदूषण पानी से यात्रा करता है - जैसे बारिश या जलधारा या हवा में,इसलिए इससे बचना आसान नहीं होता है, यह हवा और पानी के द्वारा बहुत दूर दूर तक फ़ैल जाता है!

ऐसे हालात में स्कूल या सरकारी भवन जैसे स्थान आश्रय के लिए सबसे अच्छे स्थान हैं।लकड़ी के बने घर की तुलना में कंक्रीट, चिनाई और इस्पात से निर्माण वाले घर  परमाणु विकिरण को दूर रखने में बेहतर बनाता है।

अगर आप का घर कंक्रीट का बना है तो ऐसे हालात में घर के दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें और बाहरी हवा को अंदर नहीं आने दें! आपके और बाहर के बीच अधिक इन्सुलेशन होना चाहिए! शीर्ष मंजिल से अच्छा है की आप एक तहखाना में रहें, और खिड़कियों या दरवाजों से दूर एक कमरा में रहें!

अच्छी खबर यह है कि परमाणु घटना के सबसे खतरनाक कणों का जीवन कुछ दिनों का ही होता है, शायद एक सप्ताह। इसका मतलब है कि कम से कम तीन दिनों तक घर के अंदर रहना नुकसानदायक या घातक खुराक को अवशोषित करने के आपके जोखिम को कम करने के लिए पर्याप्त हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह भी है कि आपको लंबे समय तक रहने वाले कमरे के कैंपिंग के लिए पर्याप्त डिब्बाबंद भोजन और पानी का स्टॉक करना चाहिए!

विशेषज्ञों का कहना है कि आपको आपदा के बाद 72 घंटों तक जीवित रहने के लिए तैयार रहना चाहिए जिस के लिए आप को बताए गए उपचार करने होंगे! यदि आप घटना के समय बाहर होंगे तो आप अपने कपड़ों को ढुलाई और शॉवर लेने जैसे बुनियादी काम करके अपने परमाणु विकिरण जोखिम को कम कर सकते हैं ! रेडियोधर्मी सामग्री जो आपके शरीर को कपड़ों और त्वचा में चिपके अल्फा, बीटा और गामा कणों को नुकसान पहुंचाती है, यह आपके जोखिम को कम कर सकता है।
ज़रूर, एक लकड़ी का बना हुआ घर, जिसमें जालीदार खिड़कियां और दीवारों में दरारें नहीं हैं, बहुत बढ़िया आश्रय है, लेकिन आप उसे बंद करके इसे थोड़ा बेहतर आश्रय बना सकते हैं।खिड़की के ऊपर चादर लटकाना या प्लाईवुड को दरवाजे पर रखना सरल है, उससे कुछ फर्क पड़ सकता है!

यदि आपको स्थानीय अधिकारियों से निकासी आदेश प्राप्त होता है, तो आपको इस पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन यह जान लें कि ऐसे आदेश कभी-कभी समय से पहले भी जारी किए जाते हैं! इसलिए आप को बहुत सावधानी से बाहर आने के लिए फैसला करना होगा!

यह आपको तय करने की ज़िम्मेदारी देता है कि कहीं और रहना है या कहीं और आश्रय लेना है। चाहे आप एक आधिकारिक निकासी आदेश की प्रतीक्षा करें, या इसके खिलाफ निर्णय लें, याद रखें कि आप किसी घटना के दोबारा बाहर जाने से पहले कम से कम 72 घंटे इंतजार करना होगा!

यदि आपके पास विश्वसनीय जानकारी है कि परमाणु विकिरण आपके रास्ते में है, तो आप बुद्धिमानी से अपनी चीजों को पकड़ सकते हैं और जा सकते हैं।

कुछ लम्बे समय तक के लिए बाजार से खाने पीने की चीज़ों को ना खरीदें यह सब परमाणु विकिरण से दूषित होने की संभावना होती है, इसलिए इसे खाने या पहनने से संभवत: सीधेआपके शरीर में विकिरण का एक स्रोत होगा, जिससे आप एक खतरनाक खुराक को अवशोषित कर सकते हैं।इससे आप को बचना होगा!

आखरी शब्द

ये सभी अपने आप को बचाने के लिए व्यवहार्य विकल्प हैं यदि परमाणु घटना बहुत बड़ी नहीं है ! अगर भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु विकिरण होता है तो इस तरह से आप अपनी सुरक्षा कर सकते हैं! कोई भी नहीं चाहता है की ऐसा हो लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ तो आप को पहले से ही सावधान रहना होगा!

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